जिंदगी की कड़वी यादें !....
जिंदगी की कड़वी यादें आज मैं अपने आप से परेशान होकर जिंदगी के 68 साल के उस मोड़ पर खड़ा हूँ ,जहाँ जिन्दगी की सारी जिम्मेदारियाँ अभी भी मेरे कन्धो पर हैं.... जिंदगी के इस सफर की कहानी कहाँ से शुरू करू और कहाँ पर ख़तम करू ,यही सोच -सोच कर परेशान हूँ |आज मैं अपने सफर की कहानी अपने बचपन की यादों से ही शुरू करने जा रहा हूँ ,जो बहुत रुलाती है, वह बचपन की यादें जब अकेले मै याद आती हैं| अब उस एक बच्चे की कहानी शुरू होती है जिसका जन्म 1954 मै होता है, और जो एक किसान परिवार से है| वह परिवार एक सम्पन परिवार है जहाँ उसके पिता और उसके पिता के तीन भाइयों का परिवार निवास करता है | इन चार भाईयों मै से तीन भाई भारतीय सेना मै थे, और एक भाई गावँ मै खेती करता है , मेरे पिताजी जो परिवार /भाइयों मै सबसे बड़े थे , 1938 मै 15 साल की आयु में ही फौज मै भर्ती हो गये थे पिता जी ने दूसरा विश्व यु